मैं कहता आंखन देखी
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गुरु बिगडे, स्वामी बिगडे
बिगडे सब भगवान ।
ज्ञान, ध्यान की बातें छोडक
बनै वैभव-विलास मेहमान ।।
योगी बिगडे, ध्यानी बिगडॆ
बिगडे बापू और माई ।
रंग रलियां छुपो में चलती
अभिनेत्रियां भी बहकाई ।।
पादरी बिगडे, बिशप बिगडॆ
बिगडॆ मिशनरी लोग ।
राष्ट तोड. रहे मत बदलकर
लिप्त सब उन्मुक्त भोग ।।
मुल्ला बिगडॆ, मौलवी बिगडे
बिगडॆ हैं संत, फकीर ।
उग्रवाद का जहर फैलाते
पीटें सब मूढ. लकीर ।।
नेता बिगडे, सेवक बिगडे
बिगड गई सब जनता ।
बेशर्म बनकर लूट रहे
शीलवान सिर धुनता ।।
राजनीति में नीति रही ना
रहा न धर्म में ध्यान ।
मुंह छिपाकर सच्चाई घूमती
पाप बना है बलवान ।।
राष्ट सेवा का प्रण लिया था
हुए गर्दन पर सवार ।
अपराधी पदों पर बैठे हैं
करने को राष्ट का उद्धार ।।
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