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कितना है वह असहाय?
कमर तोड. वह मेहनत करता
कर्ज से नहीं उभरता है
उसकी मेहनत की नहीं होती गिनती
कोइ नहीं सुनता उसकी विनती
थक जाता है करके सब उपाय
कितना है वह असहाय?
दिन देखे नही, देखे नहीं रात
नहीं सफलता, हर जगह मात
गर्मी तपती या बर्फीली सर्दी
हर मौसम में मिलती बेदर्दी
अस्थिपिंजर वह कृशकाय
कितना है वह असहाय?
दुश्मन उसके बाढ और सूखा
पैदा करके भी रहता भूखा
खेती बन गई घाटे का धंधा
कानून, प्रशासन सब कुछ अंधा
पौष्टिक छूटा, पीता है चाय
कितना है वह असहाय?
हर जगह उससे धोखा होता
जरुरत पर पैसे नहीं मिलते
समय बीतता पिलते-पिलते
घटती जाती है उसकी आय
कितना है वह असहाय?
निर्भय होकर जब सब सोते
कौन, उसे देखता खेत में रोते
चौबीस घंटे की नौकरी उसकी
और किसी की नहीं यह बसकी
हड.ताल न धरना, ज्यान चाहे जाय
कितना है वह असहाय?
हर जगह होती है उसकी लूट
न पास में धेला, ठूठ का ठूठ
प्रकृति, प्रशासन चाहे व्यापारी
उसी पर चलती सबकी आरी
खाली जाती सदा उसकी हाय
कितना है वह असहाय?
दूध, दही की जिससे, बहती नदियां
विवश बेचने को, अधिया-अधिया
जनक है जो श्वेत क्रांति का
बना शिकार अज्ञान, अभाव, भ्रांति का
तनाव, हताशा, चिंता उसके मन, काय
कितना है वह असहाय?
इस पर भी वह जाता है जीता
अपमान, भेद के घूटों को पीता
देश की सीमा पर उसी का बेटा
कल सही था, आज चिता पर लेटा
निरीह, गंवार वह बना है गाय
कितना है वह असहाय?
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