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कबीरा खड़ा BAZAR ME

मैं कहता आंखन देखी
मैं कहता आंखन देखी
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कबीरा खडा बाजार में
कर रहा करुण पुकार ।
धर्म, योग के नाम पर
शोषण बंद हो हर प्रकार ॥

कबीरा तेरी झोपडी
गल कटियन के पास ।
अहिंसा-पूजारी लूट रहे
कर राष्ट सेवा बकवास ॥

कबीरा बैठा ध्यान में
करे स्वर्ग के सैर ।
मन में अभी के वैर ॥

एक आंख से कबीरा देखे
देते प्रेमभाव के सीख ।
अपने थे जो, हुए पराए
जोर-जोर से चीख ॥

कबीरा चले शहर को
हुए गांव से बौर ।
प्रेमभाव सब लुप्त हुआ
आया छ्ल-कपट का दौर ॥

डिग्री लिए कबीरा फिरे
करे नौकरी तलाश ।
व्यव्स्था शर्म सार हुई
बची न कहीं से आस ॥

कबीरा योगगुरु बना
लाखों सिखाए योग ।
लोशन, क्रीम बना रहे
बता रहे कला-संभोग ॥

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